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Showing posts from June, 2019

तू खुद की खोज में निकल

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तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ समझ न इन को वस्त्र तू जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ समझ न इन को वस्त्र तू ये बेड़ियां पिघाल के बना ले इनको शस्त्र तू बना ले इनको शस्त्र तू तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है चरित्र जब पवित्र है तोह क्यों है ये दशा तेरी चरित्र जब पवित्र है तोह क्यों है ये दशा तेरी ये पापियों को हक़ नहीं की ले परीक्षा तेरी की ले परीक्षा तेरी तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की समय को भी तलाश है जला के भस्म कर उसे जो क्रूरता का जाल है जला के भस्म कर उसे जो क्रूरता का जाल है तू आरती की लौ नहीं तू क्रोध की मशाल है तू क्रोध की मशाल है तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है समय को भी तलाश है चूनर उड़ा के ध्वज बना गगन भी कपकाएगा चूनर उड़ा के ध्वज बना गगन भी कपकाएगा अगर तेरी चूनर...

तुम मुझको कब तक रोकोगे…

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मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं… सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे… मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है… बंजर माटी में पलकर मैंने, मृत्यु से जीवन खींचा है… मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ, शीशे से कब तक तोड़ोगे.. मिटने वाला मैं नाम नहीं, तुम मुझको कब तक रोकोगे… इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है… तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है मैं सागर से भी गहरा हूँ, तुम कितने कंकड़ फेंकोगे चुन-चुन कर आगे बढूँगा मैं, तुम मुझको कब तक रोकोगे… झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं.. अपने ही हाथों रचा स्वयं, तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं… तुम हालातों की भट्टी में,  जब-जब भी मुझको झोंकोगे… तब तपकर सोना बनूंगा मैं, तुम मुझको कब तक रोक़ोगे…